और मैंने हमेशा "जीवन" को चुना..
जीवन — एक साधारण-सा शब्द है, लेकिन अपने भीतर अनगिनत रंग और अर्थ समेटे हुए है। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब चुनौतियाँ, निराशा और अंधकार चारों ओर घिर जाते हैं। ऐसे में कई बार हार मान लेना एक आसान विकल्प लगता है, लेकिन जो इसे जीत में बदल देता है, वही असली विजेता कहलाता है। मैंने भी अपने जीवन में ऐसे अनेक मोड़ देखे, जब हार मान लेना संभव था, लेकिन हर बार मैंने "जीवन" को चुना। मैंने महसूस किया कि जीवन में हर स्थिति अस्थायी होती है। दुख हमेशा के लिए नहीं रहता और खुशी भी पलभर की होती है, लेकिन हर कठिनाई के बाद मिलने वाली सीख स्थायी होती है। इसी विश्वास के साथ मैंने हर चुनौती को स्वीकार किया। जब भी हताशा ने मुझे घेरा, मैंने यह सोचा कि हर समस्या मुझे कुछ नया सिखाने के लिए आई है, और उसे सामना करना ही मेरे जीवन को अर्थ देता है। कई बार ऐसा भी हुआ जब समस्याएं मुझे हर ओर से घेरे रहीं और उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आई। ऐसे समय में हार मान लेना आसान था, लेकिन मैंने हमेशा कोशिश करने का संकल्प लिया। धीरे-धीरे हर नई सुबह ने मुझे नई ताकत दी, और मैं यह समझ पाया कि जीवन सिर्फ सांस लेने का नाम नहीं, बल्कि उसे उद्देश्य और साहस के साथ भरने का एक निरंतर प्रयास है।
मुझे दूसरों की कहानियों से भी प्रेरणा मिली, जिन्होंने अपने संघर्षों में भी जीवन को चुना। उनके हौसले ने मुझे यह सिखाया कि अगर वे लड़ सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं। जीवन को चुनना केवल कठिन समय में सकारात्मक सोच अपनाना नहीं है, बल्कि हर छोटे पल का आनंद लेना भी है। पहली बारिश में भीगने का सुख, किसी अपने के साथ हंसने का आनंद, और माता-पिता के चेहरे पर खुशी देखने का एहसास — यही जीवन के असली मायने हैं।
इन पलों में मैं खुद को खोकर पाता हूँ कि जीवन अपने आप में एक चमत्कार है।
मैंने हमेशा "जीवन" को चुना, क्योंकि हर ढलते सूरज के बाद सुबह का इंतजार रहता है। जीवन एक उपहार है, जिसे थामे रहना और पूरी तरह जीना ही हमारा सबसे बड़ा संकल्प होना चाहिए।
~ सौरभ
bahot hi sundar jeevan ko samjhaya gaya..
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